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Article Details :: |
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| Article Name : | | | सुभद्रा कुमारी चौहान का काव्यः नारी की सामाजिक मनोभावना | | Author Name : | | | डाॅ. विदुषी आमेटा, अरविंद कुमार व्यास | | Publisher : | | | Ashok Yakkaldevi | | Article Series No. : | | | ROR-9229 | | Article : | |  | Author Profile | | Abstract : | | | सकल सृष्टि में प्रत्येक प्राणी का अपना समाज है, समाज की संरचना नर-नारी पर निर्भर होती है, दोनों ही उसकी केंद्रीय धूरी के रूप में होते हैं। इन दोनों में से एक का भी न होना समाज का न होना है। प्रलयोपरांत सृष्टि का नव निर्माण नर-नारी की संयुक्तता से ही हुआ है। | | Keywords : | | - सुभद्रा कुमारी चौहान,काव्य,
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