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Article Name : | | राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराजांचा साहित्यातील वैराग्य विषयक दृष्टीकोन | Author Name : | | देवानंद सुधाकरराव सोनार, डॉ. ए. एन. खोडस्कर | Publisher : | | Ashok Yakkaldevi | Article Series No. : | | ROR-7005 | Article : | | | Author Profile | Abstract : | | पातजंल योगदर्शानामध्ये योगाला परिभाषित करतांना चित्त वृत्तिंचा निरोध करणे म्हणजे योग होय असे सांगितले असून वृत्तींचा विरोध करण्यासाठी म. पतंजलींनी चित्तातील वृत्तींचा निरोध करण्यासाठी अभ्यास आणि वैराग्य ही दोन महत्वपूर्ण साधने सांगून त्यांचे वर्णन केले आहे. | Keywords : | | - राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज,योग,
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