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Article Name : | | विश्व में हिंदी की दशा और दिशा | Author Name : | | कृष्णचंद रल्हाण | Publisher : | | Ashok Yakkaldevi | Article Series No. : | | ROR-519 | Article : | | | Author Profile | Abstract : | | न्यूनाधिक अंशों में प्राय:समूचे राष्ट्र में व्याप्त और भिन्न – भिन्न भाषाभाषी समुदायों के बीच धार्मिक , राजनितिक एवं आर्थिक संदर्भो में सहज ही प्रयक्त सम्पर्क – भाषा को पारिभाषिक अर्थ में , राष्ट्रभाषा कहा जाता है | राष्ट्रभाषा इस पद पर स्वत: आसीन हो जाता है , इसके लिए किसी शासनादेश की आवश्कयता नहीं पड़ती , जबकि राष्ट्रभाषा बनने-बनाने के लिए राजाज्ञा अथवा विधि- विधान की अनिवर्यता होती है | यह कतई आवश्यक नहीं है कि राष्ट्रभाषा भी हो | . | Keywords : | | - दशा और दिशा,दशा और दिशा
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