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Article Details ::
Article Name :
आत्मजयी खंडकाव्य में अस्तित्ववादी विचार
Author Name :
प्रा. झाकीरहुसेन मुलाणी
Publisher :
Ashok Yakkaldevi
Article Series No. :
ROR-4020
Article :
Author Profile
Abstract :
१९४३ के बाद हिन्दी कविता ने करवट ली, उसका आधार, प्रेरणा और विचार एवं पृष्ठ भुमि पुरी बदल गयी थी| युग के साथ कविता के स्वभाव में परिवर्तन स्वाभाविक बात है, किन्तु स्वरूप भी बदलना यह विशष बात थी |
Keywords :
  • आत्मजयी खंडकाव्य,हिन्दी कविता,
 
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