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Article Details :: |
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| Article Name : | | | भारतीय संत परम्परा में संत रैदास: एक विवेचन | | Author Name : | | | डाॅ. निशा वालिया | | Publisher : | | | Ashok Yakkaldevi | | Article Series No. : | | | ROR-3676 | | Article : | |  | Author Profile | | Abstract : | | | अब कैसे छूटै राम, नाम रट लागी।
प्रभु जी तुम चन्दन हम पानी, जाकी अंग अंग बास समानी।
प्रभु जी तुम घन बन हम मोरा, जैसे चितवत् चन्द-चकोर।
प्रभु जी तुम दीपक हम बाती, जाकी जोति बरै दिन राती। | | Keywords : | | |
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