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Article Name : | | 21 वी सदी में संगीत: विकास एंव दुकश्राव्य माध्यमों का प्रभाव | Author Name : | | प्रिती बन्सीधर इंगळे (वाकपांजर) | Publisher : | | Ashok Yakkaldevi | Article Series No. : | | ROR-2359 | Article : | | | Author Profile | Abstract : | | संगीत, चित्र, शिल्प, स्थापत्य साहीत्य और नाटय यह सभी कलाऍ अपने यहा प्रमुखता से मानी जाती है। यह कलाऍ अनुक्रम से श्रुती संवेदना, दुक श्राव्य संवेदना, दुक स्पर्श संवेदना और संपुर्ण संवेदना इनकों आवाहन करते है। इन कलाओं का माध्यम अनुक्रम में स्वर, रंगरेषा, धातु और तत्सदृष्य घनपदार्थ शब्द और संवाद है। संगीत कला को यदि छोड़ दे तो इन संपुर्ण कलाओं का आशय मानवी जीवन है। लेकीन संगीत कला का माध्यम स्वर और आशय ही स्वर संगीत यह निसर्ग निरपेक्ष कला है। | Keywords : | | - 21 वी सदी में संगीत
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