Article Details :: |
|
Article Name : | | इतिहास बोधके परिदृश्यमें बलवन्त सिंह का ‘काले कोस’: मानवीय इतिहास की त्रासद जीवन गाथा | Author Name : | | किरण ग्रोवर | Publisher : | | Ashok Yakkaldevi | Article Series No. : | | ROR-1867 | Article : | | | Author Profile | Abstract : | | इतिहास मनुष्य द्वारा सनिर्दिष्ट गतिविधि है तथा साहित्य प्रगतिशील, अनुभूतिशील जीवन का लिपिबद्ध अभिव्यक्तीकरण ही है। साहित्य का मूल आधार इतिहास ही है तथा इतिहाससम्बन्धी घटनाएं साहित्य की प्रगति पर प्रभाव डालती है। इतिहासकार संस्कृति को अतीतगत सन्दर्भ में उठाता है व साहित्यकार संस्कृति के सन्दर्भ में भविष्य को सम्बोधित करता है। समाज, संस्कृति, राजनीति की अन्तबाह्य द्वन्द्वात्मक प्रक्रियाओं की समग्र समझ के लिए इतिहास बोध की आवश्यकता है। इतिहास बोध से अतीत की समझदारी, उसकी विकासशीलता और हरासशीलता का मूल्यांकन होता है। अतः रचना में इतिहास बोध की अनुभूति इतिहास की संवेदनात्मक, रागात्मक और आवेगात्मक प्रतिक्रिया से उत्पन्न होती है।कालजयी रचनाओं में निहित इतिहास चेतना अतीत, वर्तमान और भविष्य के नये मार्ग खोलती है।बलवन्त सिंह जी का ‘काले कोस’ उपन्यास तत्कालीन विषैले वातावरण में भी धार्मिक सहिष्णुता से हिंदू-सिक्ख, मुसलमानों की सांस्कृतिक गहनता व सांझे सम्बन्धों की मिसाल कायम करता है। | Keywords : | | - सांस्कृतिक गहनता,सांस्कृतिक गहनता,सांस्कृतिक गहनता,सांस्कृतिक गहनता,
|
|
|
|