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Article Name : | | डॉ. रामनिवास 'मानव' के साहित्य में समाजिक चेतना और मनोविज्ञान | Author Name : | | कृष्णा देवी सुपुत्री श्री चम्बा राम | Publisher : | | Ashok Yakkaldevi | Article Series No. : | | ROR-1715 | Article : | | | Author Profile | Abstract : | | डॉ. रामनिवास 'मानव' एक नये समाज के रचनाकार हैं, जो अपने युग की पारम्परिक चेतना के विरूद्ध आवाज बुलन्द करते हैं। यह वर्तमान व्यवस्था में निहित मौकापरस्ती के खिलाफ विद्रोही हो जाते हैं। परिस्थितियों से समझौता न करना इनके व्यक्तित्व का अहम हिस्सा है। साहित्य में नित नये प्रयोग करना इन्हें बखूबी भाता है। इनका काव्य सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक ढांचे में परिवर्तन का वाहक बनकर उभरता है। डॉ. 'मानव' का बहुमुखी व्यक्तित्व सामाजिक व्यवस्था के प्रति आक्रोश तो प्रकट करता ही है, लोकतन्त्र की उन व्यवस्थाओं पर भी चोट करता है, जहां मानवीय अस्मिता, अन्याय और शोषण का -शिकारा हुई है। यह यन्त्रवत् जीवन के प्रति उदासीन हैं। परिवर्तन अवश्यम्भावी हैं, इसी प्रकार से डॉ. 'मानव' जिन्दगी को चुनौती के रूप में जीते हैं। यह अपने से पूर्व की काव्य-श्रृंखला को झुठलाते हुए, चुनौती के रूप में, साहित्य में प्रयोग करते हैं। | Keywords : | | - लोकतन्त्र
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