साठोत्तरी कविता (1960 के बाद की हिंदी कविता) ने स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद के भारतीय समाज में हो रहे गहरे सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तनों को अपनी अभिव्यक्ति का केंद्र बनाया। इस दौर की कविताएं यथार्थवादी दृष्टिकोण अपनाते हुए सामाजिक विडंबनाओं, शोषण और अन्याय को उजागर करती हैं। कविताओं में बेरोजगारी, गरीबी, शहरीकरण और औद्योगिकीकरण से उत्पन्न समस्याओं को चित्रित किया गया। कवियों ने सामूहिक अनुभवों की बजाय व्यक्तिगत संघर्षों और अनुभूतियों पर ध्यान केंद्रित किया। |