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Article Details ::
Article Name :
ताजमहल का टेंडर- नाटक में व्यंग्य बोध
Author Name :
श्रीमती वहीदा खानम दाऊदजी , डॉ. शकीला बेगम मुस्तफा
Publisher :
Ashok Yakkaldevi
Article Series No. :
ROR-15209
Article :
Author Profile
Abstract :
आज व्यंग्य का मूल, प्रहार है, जो सुधार की भावना लिये हुए है | व्यंग्य में एक गहराई अपेक्षित है और साथ ही प्रहारात्मक स्थिरता भी है । व्यंग्य का अर्थ परिवर्तन है । हिन्दी में व्यंग्य सामान्य बोलचाल में कटाक्ष, ताना मारना, बोली-ठोली आदि का पर्याय बन गया है ।
Keywords :
  • ताजमहल का टेंडर, व्यंग्य नाटक, भ्रष्टाचार,
 
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