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Article Name : | | स्वतंत्रता के पूर्व हिंदी नाटको में लोकतंत्र की आड़ में मानवीय मूल्यों का हृास | Author Name : | | डॉ. बृजलाल अहिरवार | Publisher : | | Ashok Yakkaldevi | Article Series No. : | | ROR-15151 | Article : | | | Author Profile | Abstract : | | हिंदी साहित्य में नाटक सबसे प्राचीन विधा है । भारतेन्दु युग से लेकर आज तक अनेक नाटकों का प्रणयन हुआ । नाटक एक ऐसी विद्या है जिसमे पात्रों के माध्यम से रचनाकार अपने विचारों को पाठक एवं दर्शक तक पहुंचाने की चेष्टा करता है । आचार्य भरतमुनि ने नाट्यशास्त्र नामक ग्रन्थ की रचना की जिसमे उन्होनें विभावानुभाव व्यभिचारी संयोगाद्रस निष्पत्ति’ के माध्यम से नाटक में रसानुभूति की भी अभिव्यंजना की है । साथ ही नाटक को पंचम वेद कहा है । | Keywords : | | - मानवीय मूल्य,,आत्मोत्सर्ग,,प्रसन्नहीनता,,अभिनयात्मक,
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