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Article Name : | | वेदांगं मंत्रों के अर्थ, व्याख्या एवं यज्ञ में उनके विनियोग | Author Name : | | Karanghiya Mulubhai Devabhai | Publisher : | | Ashok Yakkaldevi | Article Series No. : | | ROR-14181 | Article : | | | Author Profile | Abstract : | | वेद आर्य संस्कृति के मूल ग्रंथ हैं। वेदों के अध्ययन में सहायक शास्त्र की वेदाङ्ग कहे गये। वेद के मूल पाठ अत्यंत पवित्र हैं, उनके उच्चारण की शुद्धता बनाये रखने, उन्हें अपरिवर्तनीय बनाये रखने व उनके ठीक-ठीक ज्ञान की आवश्यकता हेतु ही वेदाङ्ग साहित्य का आविर्भाव हुआ। वेदांगों द्वारा मंत्रों के अर्थ उनकी व्याख्या व यज्ञ में उनके विनियोग आदि का बोध होता है। | Keywords : | | - वेदांगं मंत्र,वेदांगं मंत्रों के अर्थ,
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