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Article Details ::
Article Name :
स्वामी विवेकानन्द एवं भगवद्गीता के कर्मयोग का तुलनात्मक अध्ययन
Author Name :
डाॅ. आरती कुमारी, डाॅली तिवारी
Publisher :
Ashok Yakkaldevi
Article Series No. :
ROR-6701
Article :
Author Profile
Abstract :
कर्म की उत्पति कृ धातु से हुई है। कृ का अर्थ करना, (जो कर्म किया जाय)। कर्म का मतलब कोई भी कार्य करने से है। शारीरिक, मानसिक और वाचिक कार्य ही कर्म कहलाता है। हमारे कर्म जब स्वार्थ रहित होकर किए जाते है, तब कर्मयोग कहा जाता है।
Keywords :
  • भगवद्गीता के कर्मयोग,स्वामी विवेकानन्द,
 
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