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Article Details ::
Article Name :
जनतंत्र विरोधी ताकतों का प्रतीक ’नागपाश’ नाटक के संदर्भ में
Author Name :
शिवाजी सांगोळे
Publisher :
Ashok Yakkaldevi
Article Series No. :
ROR-1849
Article :
Author Profile
Abstract :
साठोत्तर काल के नाटकों का कथ्य का सर्वाधिक व्यापक स्तर पर विषय रहा है ’राजनीति’ इस काल के नाटकों में वर्तमान राजनीति की दुर्दशा को बखुबी चित्रित किया गया है। व्यवस्था में निहित भ्रष्टाचार और उसमें शोषित जन - मानस राजनेताओं की सत्ता प्राप्ति के लिए होड सत्ता के लिए रचे गये घिनौने षडयंत्र स्वार्थ के लिए राजनिति पद का गैर उपयोग आदि का चित्रण का कैनवास इस काल में बहुत अधिक बडा है। इसमें ’सुशिलकुमार सिंहजी’ का नाटक ’नागपाश’ उल्लेखनीय है। यह नाटक राजनिति चेतना कों सामने लाता है। इस नाटक में न्याय का गला घोटकर निरिह जनता का शोषन करता है। शोषन के विरूध्द आवाज उठानेवाले को ’आपातकाल’ का कडवा घॅूट पीना होता है। वह शोषन क्रम आवाज से नहीं अनादिकाल से किसी न किसी रूप में चला आ रहा है।
Keywords :
 
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