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Article Details ::
Article Name :
”आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के उपन्यासों में आत्मिक व आध्यात्मिक प्रेम दर्शन“
Author Name :
हिमांचला चैधरी
Publisher :
Ashok Yakkaldevi
Article Series No. :
ROR-1838
Article :
Author Profile
Abstract :
आत्म प्रेम का क्षेत्र लचीला होता है। व्यक्ति अन्य प्राणियों को भी आत्मवत ही समझने का प्रयास करता है। आत्मप्रेम की भावना हर व्यक्ति में हर समय रहती है। कारण व्यक्ति स्वयं की संवेदनाओं को दूसरों के साथ जोड़कर देखता है। वस्तुतः आत्म प्रेम एक अवस्था विशेष है जो अन्य प्रमावस्थाओं में भी निर्बाध रूप से रह सकता है। रचनाकार का आत्मप्रेम संकीर्णता से मुक्त रहता है और वह अपने या अपने पात्रों के माध्यम से मानव नियति के यथार्थ पर प्रकाश डालता है। उपन्यासों में निजी सुख-दुख, निराश-विषाद एवं वैराग्य की विवृत्ति परिस्थितियों के समक्ष प्रायः लाचार हो जाने वाले मानव मात्र की गाथा है। द्विवेदी जी का यही आत्म प्रेम, सर्वात्म प्रेम की भावना के साथ उपन्यासों में निरूपित हुआ है।
Keywords :
  • आत्मिक व आध्यात्मिक प्रेम
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