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Article Details ::
Article Name :
हरिशंकर परसाई के राजनीतिक व्यंग्यों में यथार्थ दृष्टि का अध्ययन
Author Name :
नीता वर्मा, डाॅ. रामलला शर्मा
Publisher :
Ashok Yakkaldevi
Article Series No. :
ROR-13899
Article :
Author Profile
Abstract :
हरिशंकर परसाई के लेखन में राजनीतिक चेतना प्रारम्भ से ही देखने को मिलती है। परसाई जी ने संसदीय राजनीति के कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दों को व्यंग्य का विषय बनाया है। ‘सोने के साये‘ में परसाई जी ने पूँजीवादी प्रतिष्ठानों के हिमायती समाजवादी ढाँचे की राजनीति को सीधी सरल भाषा में व्यक्त करते हुए लिखते हैं- ‘‘गड़े सोने की बड़ी उलझन है एक तो उसका रखवाला साँप होता है, फिर वह ट्रस्टी दयालुता, भलाई और धार्मिकता का रूपक धारण किये रहता है। यह मारा नहीं जाता और अगर उसे सीधे अक्षरों में फुसलाओं तो वह भाग जाता है और सोना साथ ले जाता है।
Keywords :
  • लेखन,राजनीति,एवं चेतना,
 
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